हर आज और हर कल के बीच वो..अपने आप में ही इक ज़माना रहेगा।
इन ख्वाबों की बस्ती में तो कुछ यादगार सिलसिले और भी आएंगे..
मगर हर दिल की दुआ बनने वाला वो नायाब किस्सा शायद फिर कभी न दोहराएगा।
इन अनगिनत सितारों के बीच..वो इक अनोखा अजूबा रहेगा..
इन दर्द के एहसासों के बीच..वो बस इक हस्ता, मुस्कुराता हुआ तजुर्बा रहेगा।
हर शाम यूहीं पिघलती रहेगी, हर रात यूहीं ढलती रहेगी और ज़िंदगी तो यूहीं चलती रहेगी..
मगर काबिलियत के इस दौर में, वो यक़ीनन इक अधूरी कायनात कहलाएगा।
इरफ़ान खान!♥